धूम्रपान के दूरगामी प्रभाव (Long-term Effects of Smoking)

1. फेफड़ों का कैन्सर (Lungs cancer) - 

धूम्रपान का सर्वाधिक घातक प्रभाव फेफड़ों का कैन्सर है। सिगार अथवा पाइप द्वारा धूम्रपान करने वालों की तुलना में सिगरेट द्वारा धूम्रपान करने वालों में यह अधिक व्यापक पाया जाता है। पान के साथ अथवा सीधे ही तम्बाकू खाने वालों में मुख-गुहा (गाल, जिह्वा, होठ आदि) का कैन्सर अधिक होता है।

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2. श्वास नली शोध (Bronchitis) – 

इस रोग में श्वास नलिकाओं (bronchi) तथा फेफड़ों की कूपिकाओं (alveoli) को वायु ले जाने वाली सूक्ष्म नलिकाओं में सूजन हो जाती है। सिगरेट के धुएँ में उपस्थित रसायन कृषिकाओं के आन्तरिक पृष्ठ पर उपस्थित कशाभों (cilia) को निष्क्रिय कर देते हैं, जिससे उनके द्वारा कूपिका को स्वच्छ रखने की क्रिया रुक जाती है। इससे कूपिकाओं में कफ जमा हो जाने से उनकी गैस-विनिमय की क्षमता कम हो जाती है तथा सूजन हो जाती है। स्पष्ट है कि इससे रुधिर में ऑक्सीजन का अवशोषण तथा रुधिर से कार्बन डाईऑक्साइड का निष्कासन भी कुप्रवाहित होता है, जिससे श्वसन द्वारा शरीर में ऊर्जा उत्पादन भी कम हो जाता है।

3. वात-स्फीति (Emphysema ) — 

कूपिकाओं में कफ एकत्र हो जाने के कारण उनसे वायु का निःश्वसन बाधित होता है जिससे कूपिकाएँ तथा सूक्ष्म श्वास नलिकाएँ तन जाती हैं, कूपिका भित्ति कमजोर होकर फट जाती है तथा फेफड़ों में गैस विनिमय हेतु उपलब्ध सतह कम हो जाती है। इस दशा को वात-स्फीति कहते हैं।

4. हृदय रोग (Heart diseases) – 

निकोटीन हृदय की स्पन्दन दर को बढ़ा देती है तथा हृदय की रुधिर वाहिनियों को संकुचित करती है। इससे मनुष्य का रक्त दाब (Blood pressure) बढ़ जाता है जो हृदय की पेशियों को दुर्बल करके हृदय रोग होने की संभावना को बढ़ा देता है।

5. पाचन तन्त्र के रोग (Diseases of digestive system ) — 

धूम्रपान से आमाशय तथा ग्रहणी (Stomach and duodenum) में व्रण (Ulcers) हो जाते हैं।

6. रुधिर की ऑक्सीजन परिवहन क्षमता में हास - 

तम्बाकू के धुएँ में उपस्थित कार्बन मोनोक्साइड, लाल रुधिर कणिकाओं में हीमोग्लोबिन से संयुक्त होकर स्थायी यौगिक कार्बोनिल हीमोग्लोबिन (carbonyl haemoglobin) बनाती है, जिसमें ऑक्सीजन परिवहन करने की क्षमता नहीं होती। इस प्रकार तम्बाकू के धूम्रपान से रुधिर की ऑक्सीजन परिवहन क्षमता घट जाती है। इसके परिणामस्वरूप शरीर में ऊर्जा का उत्पादन बहुत कम हो जाता है।

7. गर्भवती स्त्रियों में धूम्रपान के कुप्रभाव से भ्रूण की वृद्धि एवं विकास घट जाता है, जिससे दुर्बल एवं रोगी सन्तान पैदा होती है। कभी-कभी इन सन्तानों में शारीरिक तथा मानसिक विकलांगता भी हो सकती है।

8. अन्य प्रभाव -

(i) धूम्रपान आर्थिक रूप से हानिकारक है क्योंकि धूम्रपान करने वाला न केवल अपने धन को अनेक प्रकार के रोग अर्जित करने में खर्च करता है वरन् धूम्रपान में असावधानी के कारण आग लगने का भी खतरा रहता है। 

(ii) धूम्रपान से व्यक्तित्व खराब हो जाता है क्योंकि इससे दाँतों तथा उँगलियों में भद्दे दाग पड़ जाते हैं, होठ बदरंग हो जाते हैं तथा श्वास-प्रश्वास में दुर्गन्ध आती है।

(iii) सिगरेट पीने वालों द्वारा वातावरण, विशेषतः बन्द तथा भीड़ भरे स्थानों में फैलाया गया विषाक्त धुआँ, धूम्रपान न करने वालों के फेफड़ों में जाकर उन्हें भी हानि पहुँचाता है।

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