स्थानान्तरीय गति (Translational Motion)


स्थानान्तरीय गति (Translational Motion)

यदि कोई पिण्ड अथवा निकाय इस प्रकार गति करता है कि उसके प्रत्येक कण का एक निश्चित समयान्तराल में समान विस्थापन हो अर्थात् समान दिशा में चली गई दूरियाँ समान हों, तो उसकी गति को स्थानान्तरीय गति कहते हैं। पिण्ड के सभी कणों के रेखीय वेग समान होते हैं। स्थानान्तरीय गति में परिवर्तन करने के लिए बल की आवश्यकता होती है। किसी कार्तीय निर्देश फ्रेम के सापेक्ष किसी क्षण पर पिण्ड की स्थिति व्यक्त करने के लिए 3 चरों की आवश्यकता होती है। इन तीनों चरों को स्थानान्तरीय x, y, z स्वतंत्रता की कोटियाँ (translational degrees of freedom) कहते हैं। किसी पिण्ड अथवा निकाय की गति का अध्ययन केवल एक विशेष विन्दु (पिण्ड अथवा निकाय का द्रव्यमान केन्द्र) की गति द्वारा किया जा सकता है। निकाय के सम्पूर्ण द्रव्यमान M तथा उस पर लगने वाले नेट बाह्य बल F को निकाय के द्रव्यमान केन्द्र पर केन्द्रित मान लेते हैं तब निकाय का

त्वरण इसके द्रव्यमान केन्द्र के त्वरण के बराबर होता है तथा  a CM = F/M उदाहरण- किसी पिण्ड का किसी तल पर फिसलना, व्यक्ति का किसी तल पर चलना, आदि । 

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