आर्थिक मंदी financial crisis




महामंदी, मंदि और सस्ती में फर्क

यदि किसी देश की सकल घरेलु आय (GDP) 6 महीने तक गिरावट हो तो इस दौर को अर्थशास्त्र में आर्थिक मंदी कहते है अगर जीडीपी की ग्रोथ रेट ( GDP GROTH RATE )  लगातार कम होती हैं तो इकोनामिक स्लोडाउन ( economic slowdown) यानी आर्थिक सुस्ती का दौर कहाँ जाता है डिप्रेशन यानी महामंदी रिसेशन यानी मंदी का सबसे भयावह रूप है अगर 2 तिमाही के दौरान किसी देश में जीडीपी में 10% गिरावट आती है तो उसे डिप्रेशन कहाँ जाता है प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1930 के दशक में भयानक महामंदी आई थी जिसे The Great Depression कहाँ जाता है अभी तक  रिकॉर्डेड हिस्ट्री में दुनिया ने एक ही बार डिप्रेशन का सामना किया है
भारत अब तक मंदी का कितनी बार सामना किया है

आजादी के बाद हमारे देश पर अब तक 2 बार मंदी की मार पड़ी है भारत में पहली बार आर्थिक संकट का सामना 1991 ईस्वी में किया था उस समय भारत की स्थिति का सही तस्वीर समझने के लिए अभी के श्रीलंका के उधारण देख सकते हैं 1991 में आए संकट के कारण आंतरिक थे उस समय भारत के पास इतनी ही विदेशी मुद्रा बची थी महज तीन माह के आयात के खर्चे भरे जा सकते थे भारत कर्जे की किस्ते चुकाने में असफल हो रहा था देश का सोना बिक रहा था हालांकि तब नरसिंह राव की सरकार ने आर्थिक उदारीकरण बड़े कदम उठाकर देश को संकट से बाहर निकला । दूसरी बार इस मोर्चे का सामना 2008 में करना पड़ा उस संकट के लिए बाहर फैक्ट्री जिम्मेदार थे तब भारत में आर्थिक मंदी तो नहीं आई थी लेकिन अमेरिका समेत अन्य देशों से भारत अछूता नहीं रह पाया था । 

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