जागरूकता और जीवनशैली से नियंत्रित होगा हार्ट अटैक
बिगड़ी दिनचर्या, खानपान की गड़बड़ी और मानसिक तनाव का सीधा असर हमारे हार्ट पर पड़ता है। हार्ट अटैक की समस्या से बचने के लिए जरूरी है जीवन की गुणवत्ता व आम लोगों में इसके प्रति जागरूकता....
अनियमित जीवनशैली से 10 से 15 फीसद युवाओं में हार्ट अटैक की समस्या 40 साल से कम उम्र में देखने को मिल रही है। वर्तमान में स्वास्थ्य से जुड़ा यह गंभीर मामला है। बीते कुछ सालों में युवाओं में हार्ट अटैक की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है। खानपान और निष्क्रिय जीवनशैली के चलते हार्ट अटैक अब वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बन गया है। आकड़े बताते हैं कि हमारा देश इसमें सबसे आगे है। इसे नियंत्रित करने के लिए जागरूकतापरक देशव्यापी अभियान चलाने होंगे, जिससे लोग हार्ट से जुड़ी समस्याओं और इसके प्रारंभिक लक्षणों के बारे में ठीक से समझ पाएं। बेहतर होगा कि हार्ट की बीमारियां क्यों होती है, इसके लिए मिशन हार्ट अटैक, हाइपरटेंशन केयर, कोलेस्ट्राल और ओबेसिटी आदि प्रोग्राम लांच किए जाएं, जिससे आम लोग हार्ट संबंधी समस्याओं की मूल वजह को जान पाएं और इससे बचाव के प्रति सजग हों। देश में बढ़ रहा ग्राफ विश्व में भारत हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर, स्ट्रोक, हाइपरटेंशन, ओबेसिटी और डायबिटीज के मामले में सबसे आगे है। हार्ट अटैक का सबसे बड़ा कारण है, मेटाबालिक सिंड्रोम या ओबेसिटी सिंड्रोम इससे लिवर, किडनी, हार्ट और ब्लड वेसल्स में वसा का अतिरिक्त जमाव होता है। एक अनुमान के अनुसार, भारत में 65 से 70 फीसद लोगों में ये समस्या है। इसे लेकर वर्ष 2009 में इंडियन हार्ट जर्नल में एक अध्ययन प्रकाशित हुआ था। इसके अनुसार, भारत में तीन में से दो लोग सेंट्रल ओबेसिटी (तोंद) के शिकार हैं। यह भी हार्ट अटैक का एक बड़ा कारण है। इसके साथ ही जिन लोगों को देर से सोने की आदत होती है या नींद की समस्या है, उनमें हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी ज्यादा होती है। इंडिया हेल्थ लिंक के एक अध्ययन में भी पाया गया कि 87 फीसद लोग मोटापे व 76 फीसद हाइपरटेंशन से ग्रसित हैं, जबकि जीवनशैली से जुड़ी डायबिटीज की समस्या के रोगी तीसरे नंबर पर है।
जुबां का स्वाद सेहत पर भारी: फास्ट फूड का अधिक सेवन, गलत समय और गलत मात्रा में भोजन करना। इससे तंत्रिका तंत्र का सिस्टम बिगड़ता है। इसके साथ ही अतिरिक्त नमक, जो हम भारतीय चटनी, अचार और पापड़ के जरिये खा जाते हैं, यह हार्ट की सेहत को सीधे तौर पर प्रभावित करता है। युवाओं में हार्ट अटैक की बढ़ती घटनाओं का बड़ा कारण धूमपान व अल्कोहल का सेवन भी है। आज ये चीजें स्टेटस से जुड़ गई हैं। ग्रुप में बैठना हो या फिर देर रात की पार्टियां हों, बिना इनके अधूरी रहती हैं। मादक पदार्थों के सेवन की शुरुआत शौक में होती है, लेकिन भविष्य में ये लत बन जाती है। ये सब चीजें हार्ट की बीमारियों को जन्म देती हैं।
बिगड़ी दिनचर्या का स्वास्थ्य पर असरः अच्छा पैकेज पाने की चाह और आधुनिक जीवन जीने के चक्कर में युवा तनाव की चपेट में आ रहे हैं। अधिक धन अर्जित करने की चाह में एक जगह बैठकर कई-कई घंटे काम करना और सेहत के बारे में भूल जाना यानी अपना कोई भी काम वक्त पर नहीं हो रहा है। असमय नींद लेना, देर तक सोना और लंच के समय ब्रेक फास्ट करने की आदत का असर संपूर्ण स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। इससे शारीरिक निष्क्रयता और आलस्य बढ़ता है। काम की व्यस्तता ने लोगों को व्यायाम से दूर कर दिया है। इसके अतिरिक्त आफिस, मोहल्ले और रिश्तेदारों से रहन-सहन के मामले में कंपटीशन मानसिक तनाव बढ़ा रहा है। देखादेखी के चक्कर में घर और गाड़ी लेकर आमदनी से अधिक ईएमआई बढ़ा लेना और फिर पूरा करने के लिए अतिरिक्त काम व दिनचर्या बिगाड़ लेने से बाडी क्लाक गड़बड़ा रही है। इससे हार्मोंस असंतुलित होते हैं, जिससे धमनियां संकरी हो जाती है और इसका परिणाम हार्ट अटैक के रूप में आ रहा है।
अवश्य ध्यान दें
● दिनचर्या अनुशासित रखें
• अधिक तैलीय चीजों के सेवन से परहेज करें
• वजन नियंत्रित रखें
• हार्ट की बीमारी के लक्षणों की अनदेखी न करें
• शारीरिक सक्रियता बनाए रखें
• योग, मेडीटेशन करें और खुश रहें
• मादक पदार्थों के सेवन से बचे
• स्वस्थ है और 40 साल की उम्र पार कर चुके हैं तो साल में एक बार फुल बाडी चेकअप जरूर कराएं