मस्तिष्क की कनेक्टिविटी की बेहतर समझ के लिए नया एल्गोरिदम

 उपलब्धि - आइआइएससी ने बनाया है जीपीयू आधारित मशीन लर्निंग एल्गोरिदम

मस्तिष्क के डिफ्यूजन मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग स्कैन से उत्पन्न डेटा का तेजी से विश्लेषण करने में है सक्षम

नई दिल्ली, आइएसडब्ल्यू : भारतीय शोधकर्ताओं ने एक नया एल्गोरिदम विकसित किया है, जो मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों के बीच कनेक्टिविटी को बेहतर ढंग से समझने और पूर्वानुमान लगाने में विज्ञानियों की मदद कर सकता है। ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) आधारित यह मशीन लर्निंग एल्गोरिदम बेंगलूरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (आइआइएससी) के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित किया गया है।

मस्तिष्क की कनेक्टिविटी की बेहतर  समझ के लिए नया एल्गोरिदम

यह इमेज मध्य मस्तिष्क और नियोकोर्टेक्स के विभिन्न के बीच संबंध को दर्शाती है। प्रत्येक क्षेत्र के कनेक्शन अलग रंग में दिखाए गए हैं। 


रेगुलराइज्ड, एक्सेलेरेटेड लीनियर फासिकल इवैल्यूएशन ( रियल लाइफ) - नामक यह एल्गोरिदम मानव मस्तिष्क के डिफ्यूजन मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (डीएमआरआइ) स्कैन से बड़ी मात्रा में उत्पन्न डेटा का तेजी से विश्लेषण कर सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि रियल लाइफ के उपयोग से मौजूदा - अत्याधुनिक एल्गोरिदम की तुलना में 150 गुना तेजी से डीएमआरआइ डेटा का मूल्यांकन किया जा सकता है।

सेंटर फार न्यूरोसाइंस (सीएनएस), आइआइएससी के एसोसिएट प्रोफेसरऔर नेचर कम्प्यूटेशनल साइंस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता देवराजन श्रीधरन कहते हैं, 'जिन कार्यों में पहले घंटों से लेकर दिनों तक का समय लगता था, उन्हें अब कुछ सेकेंड से मिनटों की अवधि में पूरा किया जा सकता है।' मस्तिष्क में हर सेकेंड लाखों न्यूरान फायर होते हैं और विद्युत तरंग उत्पन्न करते हैं, जो मस्तिष्क में एक बिंदु से दूसरे तक कनेक्टिंग केबल या 'तंत्रिका फाइबर' (एक्सोम) के माध्यम से न्यूरोनल नेटवर्क में यात्रा करते हैं। मस्तिष्क द्वारा किए जाने वाली संगणनाओं के लिए ये कनेक्शन आवश्यक हैं।

आइआइएससी में पीएचडी शोधार्थी और अध्ययन की प्रमुख शोधकर्ता वर्षा श्रीनिवासन कहती हैं, 'मस्तिष्क व्यवहार संबंधों को बड़े पैमाने पर उजागर करने के लिए मस्तिष्क की कनेक्टिविटी को समझना महत्वपूर्ण है।' हालांकि, मस्तिष्क कनेक्टिविटी का अध्ययन करने के लिए पारंपरिक दृष्टिकोण के तहत आमतौर पर पशु माडल का उपयोग होता है, जिनमें चीरफाड़ की आवश्यकता होती है। दूसरी ओर, डीएमआरआई स्कैन, मनुष्यों में मस्तिष्क की कनेक्टिविटी का अध्ययन करने के लिए एक चीरफाड़ रहित विधि है।

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